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रविवार, 2 फ़रवरी 2014

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष  :  3, अंक :  03-04,  नवम्बर-दिसम्बर 2013
।।जनक छन्द।।

सामग्री : इस अंक में डॉ. ब्रह्मजीत गौतम के पाँच जनक छंद। 



डॉ. ब्रह्मजीत गौतम



जनक छन्द

01.
लोकतंत्र के पहरुए
कैसे मंजिल पायेंगे
ये घोड़े बूढ़े हुए।
02.
कुर्सी लीलाकार है
बिना एक पग भी चले
करती विश्व-विहार है।
03.
कौओं की बारात में
छाया चित्र : डॉ बलराम अग्रवाल 
चील गिद्ध शामिल हुए
सभी मांस की घात में।
04.
जेठ माह की दोपहर
साँस-साँस दूभर हुई
गयी हवा जैसे ठहर।
05.
पत्ता तक हिलता नहीं
हवा जेल में बन्द है
चैन कहीं मिलता नहीं
  • बी-85, मिनाल रेजीडेंसी, जे.के. रोड, भोपाल-462023(म.प्र.)

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