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गुरुवार, 29 अगस्त 2013

अविराम विस्तारित

अविराम का ब्लॉग :  वर्ष  :  2, अंक :  11-12,  जुलाई -अगस्त  2013

।।जनक छन्द।।

सामग्री : श्री राम नरेश 'रमन'  के पाँच जनक छंद।





राम नरेश ‘रमन’




पांच जनक छन्द

1.
काँटों का यह ताज है।
कैसे तुमको भा गया
सचमुच इसमें राज है।
2.
वादे सब झूठे हुए।
अन्तर्मन में झांकिये
लक्ष्य सभी हैं अनछुये।
रेखा चित्र  : सिद्धेश्वर 
3.
पीड़ा देखत और की।
आंसू छलके नयन में
भूले सब उस दौर की।
4.
हाथ बड़े कानून के।
आम जनों के ही लिये
खास समझते चून के।
5.
सच्चाई की जीत में।
देर बड़ी होने लगी
परिवर्तन की नीति में।

  • एस.डी.एम. कॉलोनी के पीछे, बम्हरौली, मोंठ, झांसी-284303(उ.प्र.)।

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